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Wed, Jan 22, 2025, 05:44:04 AM
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Hindi Moral Stories |
Page: 1 |
Sonu PM [26] Rank : Shri Krishna Status : Head Admin |
Sonu [PM 26] Rank : Shri Krishna Status : Head Admin |
#2 एक बार एक स्कूल था जहा हर रोज प्रार्थना होती थी। जो कोई भी छात्र प्रार्थना में नहीं जाता था उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाती थी। उसी स्कूल में एक छात्र का नाम था धीरज। धीरज पढाई-लिखाई में, साफ़-सफाई में बहुत ही आगे था और कक्षा के कुछ छात्र धीरज से जलते भी थे। एक दिन धीरज प्रार्थना में नहीं जा पाया। टीचर कक्षा में आये और आकर पूछा – आज कक्षा में कोन उपस्थित नहीं था? कुछ बच्चो ने बताया कि धीरज आज प्रार्थना में नहीं आया था और उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाये। इस पर टीचर ने धीरज को खड़ा किया और उसको बोला कि धीरज तुम्हे प्रार्थना में नहीं आने पर सजा दी जाएगी लेकिन उस से पहले तुम्हारे प्रार्थना में ना आने का कारण जानना चाहता हूँ। इस पर धीरज ने कहा – सर जी, मैं प्रार्थना में आने ही वाला था लेकिन जब मैं कक्षा से निकलने ही वाला था तो मैंने देखा की कक्षा में कचरा फैला हुआ है और बिलकुल भी साफ़-सफाई नहीं की गई है इसलिए मैं साफ़-सफाई में व्यस्त हो गया। धीरज ने आगे कहा – सर जी, आप ही तो कहते है कि स्वच्छता ही भगवान है। बस यही कारण है मैं प्रार्थना में उपस्थित नहीं हो पाया। टीचर को धीरज की बातें सुनकर बहुत गर्व हुआ और टीचर ने धीरज को गले लगा लिया। ----------------- 1 ❤: Sujit_007, |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#3 बिना पूँछ की लोमड़ी शिकारियों के हमले से एक लोमड़ी की जान तो बच गई लेकिन उसकी पूँछ कट गई। उसे बहुत शर्म आ रही थी। अपनी शर्म छिपाने के लिए उसने सारी लोमड़ियों की सभा बुलाई और बोली, “मेरे साथियो, मेरे ऊपर ईश्वर ने विशेष कृपा की है और मेरी पूँछ हटा दी है। अब मैं सुखी और आरामदायक जीवन जी सकता हूँ। हमारी पूछें तो कुरूप और बोझ जैसी हैं। हैरानी की बात है कि हमने अब तक अपनी पूँछों को काटा क्यों नहीं! मेरी सलाह मानो और सब लोग अपनी-अपनी पूँछे काट डालो।’ “ एक चालाक लोमड़ी उठ खड़ी हुई और हँसते हुए बोली, “अगर मेरी पूँछ भी कट गई होती, तब तो मैं तुम्हारी बात का समर्थन कर देती। लेकिन मेरी पूँछ तो सकुशल है तो मैं या बाकी लोमड़ियाँ अपनी-अपनी पूँछ क्यों काटें? तुम अपनी स्वार्थी सलाह अपने पास ही रखो।” |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#4 उद्दंड बेटा एक व्यापारी का बहुत उद्दंड बेटा था। वह पूजा-पाठ और भलाई के कामों में बिलकुल रुचि नहीं लेता था। धर्म-कर्म में उसकी रुचि जगाने के इरादे से उसकी माँ ने उसे एक मंदिर में संत के प्रवचन सुनने के लिए भेजा। उसकी माँ ने उसे लालच दिया कि अगर वह संत के पूरे प्रवचन सुनकर आएगा तो वह उसे हजार रुपए देगी। रुपयों के लालच में बेटा तैयार हो गया, लेकिन ध्यान से प्रवचन सुनने के बजाय वह वहाँ पूरे समय सोता रहा। अगले दिन सुबह, उसका बेटा घर लौटा और उसने माँ से हजार रुपए ले लिए। रुपए लेकर उसने व्यापार के लिए समुद्र पार जाने का निश्चय किया। उसकी माँ ने उसे रोकने का बहुत प्रयास किया, लेकिन बेटे ने उसकी एक नहीं सुनी। उसने अपना सामान बाँधा और यात्रा पर निकल पड़ा। मगर अफसोस! रास्ते में बहुत तेज तूफान आया और उसका जहाज सारे यात्रियों समेत डूब गया। इस प्रकार माँ की सलाह न मानने की सजा बेटे को भी भुगतनी पड़ी। ----------------- 1 ❤: Sonu, |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#5 नीमहकीम मेंढक बहुत समय पहले, एक मेंढक था, जो अधिकतर समय कीचड़ से भरे दलदल में घुसा रहता था। उसे यह भ्रम हो गया कि वह हर किसी का इलाज कर सकता है। एक दिन वह दलदल से निकला और दावा करने लगा कि उसने धरती की सारी बीमारियाँ ठीक कर दी हैं। “अरे साथियो, मेरे पास आओ। मुझे चमत्कारी शक्तियाँ मिल गई हैं। मैं तुम सबकी बीमारियाँ ठीक कर सकता हूँ,” वह पूरी ताकत से चिल्लाकर बोला। पास से एक लोमड़ी निकल रही थी। वह वहीं रुक गई और बोली, “तुम तो नीमहकीम हो। अगर तुम्हारे पास कोई चमत्कारी शक्ति है तो पहले अपनी ये लँगड़ी चाल और यह छेदों वाली खाल ही ठीक कर लो। अपने आपको जबरदस्ती डॉक्टर कहते हो, पहले स्वयं का इलाज तो कर लो।” किसी के काम की जाँच व्यवहार से ही की जा सकती है। |
Sonu [PM 26] Rank : Shri Krishna Status : Head Admin |
#6 keep it up.. |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#7 सियारों का झुंड और हाथी सियारों के एक झुंड ने एक हाथी को देखा। उनका मन उस हाथी का मॉस खाने का करने लगा। एक बूढ़ा सियार बोला, “चलो, मैं तुम लोगों को तरीका सुझाता हूँ। हाथी को मारने का एक तरीका है मेरे पास ।” हाथी इधर-उधर घूम रहा था। बूढ़ा सियार उसके पास पहुँचा। “महोदय, मैं एक सियार हूँ। मैं सारे जानवरों ने मुझे आपके पास भेजा है । हम लोगों ने मिलकर तय किया है कि आपको जंगल का राजा बनाया जाना चाहिए। आपके अंदर राजा के सारे गुण हैं। कृपया मेरे साथ चलिए और राजा का काम सँभाल लीजिए।” हाथी सियार की चापलूसी भरी बातों में आ गया। वह सियार के साथ चल पड़ा। सियार उसे एक झील के पास ले गया, जहाँ हाथी फिसल पड़ा और गहरे कीचड़ में फँस गया। “मेरी सहायता करो मित्र,” हाथी असहाय होकर चिल्लाने लगा। सियार कुटिलता से मुस्कराया और कहने लगा, “महोदय, आपने मेरे जैसे जानवर पर विश्वास किया। अब आपको इसकी कीमत जान देकर ही चुकानी पड़ेगी।” हाथी कीचड़ में फँसा रहा और कुछ देर में मर गया। सारे सियारों ने मिलकर उसके गोश्त की दावत उड़ाई। |
Sonu [PM 26] Rank : Shri Krishna Status : Head Admin |
#8 एक गाँव में एक व्यापारी रहता था। वह व्यापारी जंगल से लकड़ियाँ काटकर अपना व्यापार किया करता था। एक दिन वह जंगल में एक नदी के किनारे पेड़ पर बैठकर लड़की काट रहा था। इतने में ही ये क्या…. व्यापारी की कुल्हाड़ी उस नदी में गिर गई। व्यापारी ने देर ना करते हुए तुरंत उस नदी में छलांग लगा दी और अपनी कुल्हाड़ी को ढूँढने का बेहद प्रयास किया। लेकिन अंत में बेचारे व्यापारी को निराशा ही मिली। उसके पास सिर्फ एक ही कुल्हाड़ी थी जिस से उसकी रोजी रोटी चलती थी। यह सोचकर अब वो नदी के किनारे बैठकर रोने लगा की अब वह क्या करेगा? कोन उसकी मदद करेगा? इतने में नदी से गंगा देवी निकलकर व्यापारी के सामने प्रकट हो गई। गंगा देवी ने व्यापारी से पूछा तुम क्यों रो रहे हो? व्यापारी ने गंगा देवी को सारी बात बताई। तभी गंगा देवी ने नदी में दुबकी लगाई और सोने की कुल्हाड़ी निकालकर लाई। व्यापारी को सोने की कुल्हाड़ी दिखाकर गंगा देवी ने पूछा – गंगा देवी – क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है? व्यापारी – नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। गंगा देवी ने फिर से नदी में दुबकी लगे और इस बार वह चांदी की कुल्हाड़ी निकालकर लाई। अब गंगा देवी ने फिर से पूछा – गंगा देवी – क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है? व्यापारी – नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। अब गंगा देवी ने एक बार और नदी में दुबकी लगे और इस बार लोहे की कुल्हाड़ी निकालकर लाई। गंगा देवी – क्या यह है तुम्हारी कुल्हाड़ी? व्यापारी – जी हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है। गंगा देवी ने व्यापारी की ईमानदारी देखकर उसे तीनो कुल्हाड़ी दे दी और फिर गायब हो गई। Moral of this Short Hindi Story – ईमानदार इंसान को हमेशा उसके किये का फल मिलता है। |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#9 लड़ने वाले मुर्गे और बाज कुछ समय पहले की बात है। दो मुर्गे एक कूड़े के ढेर पर लड़ रहे थे । दोनों पूरी शक्ति से एक-दूसरे पर आक्रमण कर रहे थे। लड़ाई में जीतने वाला ही उस ढेर का राजा घोषित होने वाला था। आखिरकार एक मुर्गा बुरी तरह से घायल होकर गिर पड़ा। धीरे-धीरे उठकर वह अपने दड़बे में चला गया। जीतने वाले मुर्गे ने एक उड़ान मारी और जोर से बाँग लगाने लगा। उसी समय एक बाज ऊपर से उड़कर जा रहा था। बाज ने एकदम से झपट्टा मारा और उस मुर्गे को दबोचकर ले गया। हारा हुआ मुर्गा यह सब देख रहा था। वह दड़बे से बाहर निकला और कूड़े के ढेर पर खड़ा हो गया। उसने बाँग लगाकर अपने को राजा घोषित कर दिया। घमंड करने वाले की सदैव हार होती है। |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#10 एक बार एक राजा ने एक साँप की जान बचाई। साँप ने प्रसन्न होकर राजा को ऐसी शक्ति दी जिससे कि वह पशुओं की भाषा समझने लगा। हालाँकि उसने इस शक्ति को गुप्त रखने की भी शर्त लगा दी और कहा कि अगर किसी को भी उसने यह बता बताई तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। एक बार राजा, रानी के साथ बगीचे में बैठा था। उसने एक चींटी को मिठाई के टुकड़े के बारे में बोलते सुना। राजा चींटी की बात सुनकर मुस्कराने लगा। रानी ने उससे मुस्कराने का कारण पूछा। राजा ने रानी को बहुत समझाने की कोशिश की पर वह बार- बार कारण पूछती ही रही। आखिरकार राजा उसे रहस्य बताने को तैयार गया। तभी आकाशवाणी सुनाई दी, “हे राजन, तुम क्यों उसके लिए अपने प्राणों का बलिदान दे रहे हो, जो स्वयं तुम्हारे प्राणों का मूल्य नहीं समझ रही थी?” राजा ने रानी को बताया कि वह कितनी स्वार्थी है। रानी को भी अपनी गलती समझ में आ ई। |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#11 गर्मी का दिन था। पृथ्वी पर अचानक लोगों ने खबर सुनी सूरज का कि जल्द ही विवाह होने वाला है। सारे लोग बहुत प्रसन्न हुए। मेंढक भी बहुत प्रसन्न हुए और पानी में उछल-कूद मचाने लगे। एक बूढ़ा मेंढक पानी के ऊपर आया और सारे मेंढकों को समझाने लगा कि यह प्रसन्नता की नहीं दुख की बात है, “मेरे साथियो! तुम लोग इतने प्रसन्न क्यों हो रहे हो? क्या यह वाकई खुशी मनाने की खबर है? एक अकेला सूरज तो अपनी गर्मी से हमें झुलसा देता है। जरा सोचो, जब इस सूरज के दर्जन भर बच्चे हो जाएंगे तो हमारा क्या हाल होगा। हमारा कष्ट कई गुना बढ़ जाएगा और हम लोग जीवित नहीं रह पाएँगे। “ |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#12 एक दिन, गोबर में रहने वाले भँवरे की निगाह मेज पर रखी शराब की खाली बोतल पर पड़ी। वह बोतल के पास गया और उसमें बची- खुची बूंदें पी गया जिससे उसे नशा चढ़ गया। इसके बाद वह खुशी – खुशी गुंजन करता हुआ वापस गोबर के ढेर में चला गया। पास से ही एक हाथी गुजर रहा था। गोबर की गंध की वजह से वह दूर हट गया और सीधा जाने लगा। नशे में चूर भँवरे को लगा कि हाथी उससे डर गया है। उसने वहीं से भँवरे को आवाज लगाई और उसे लड़ने की चुनौतीदेने लगा। “इधर आ, मोटे! मुझसे मुकाबला कर। देखते हैं कौन जीतता है, वह हाथी की ओर देखकर चिल्लाया। हाथी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। नशे की धुन में भँवरा उसे लगातार चुनौती देता रहा। आखिरकार, हाथी का धीरज खत्म हो गया। उसने गुस्से में आकर भँवरे पर गोबर और पानी फेंक दिया। भँवरे की वहीं जान निकल गई। शराब का नशा व्यक्ति को अपने बारे में गलतफहमी पैदा कर देता है |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#13 एक बंदर और एक मगरमच्छ आपस में दोस्त थे। मगरमच्छ की माँ को बंदर का हृदय बहुत स्वादिष्ट लगता था। उसने मगरमच्छ से कहा कि वह उसके लिए बंदर का हृदय लाए। मगरमच्छ ने बंदर से कहा, “उस टापू के फल पक गए हैं। मैं तुम्हें वहाँ ले चलता हूँ।” बंदर के मुँह में पानी आने लगा। वह उछलकर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। दोनों टापू की ओर चल पड़े। रास्ते में मगरमच्छ ने बताया, “मेरी माँ तुम्हारा हृदय खाना चाहती है और मैं तुम्हें उसके पास ही लिए जा रहा हूँ।” बंदर चुपचाप सोचने लगा। कुछ देर बाद वह बोला, “अरे, लेकिन मैं तो अपना हृदय पेड़ पर ही छोड़ आया हूँ। तुम्हें मेरा हृदय चाहिए तो मुझे वापस वहीं ले चलो।” चतुर बंदर ने बात बनाई। मूर्ख मगरमच्छ बंदर को वापस नदी के तट पर ले आया। जैसे ही वे तट के पास पहुंचे, बंदर उछलकर पेड़ पर चढ़ गया और उसकी जान बच गई। |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#14 एक बार एक बहुत चालाक मुर्गी थी। एक दिन वह बीमार पड़ गई और अपने घोंसले में पड़ी थी। तभी एक बिल्ली उसे देखने आई। उसके घोंसले में घुसकर बिल्ली बोली, “मेरी दोस्त, क्या हुआ तुम्हें? क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकती हूँ? तुम्हें कुछ चाहिए हो तो बताओ, मैं ला दूँगी। अभी तुम्हें कुछ चाहिए क्या?” मुर्गी ने बिल्ली की प्यार भरी बातें सुनीं। उसे खतरे का आभास हो गया। वह बोली, “हाँ, बिलकुल। मेरे लिए एक काम कर दो। यहाँ से चली जाओ। मैं बीमार हूँ और किसी अनचाहे मेहमान को बुलाकर कोई खतरा नहीं उठाना चाहती।” |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#15 एक कुत्ते और एक खरगोश के बीच बहुत पक्की दोस्ती थी। खरगाश का स्वभाव सीधा-सादा था, जबकि कुत्ता बहुत चालाक था। एक दिन कुत्ते ने अचानक खरगोश को पकड़कर जोर से काट लिया। खरगोश दर्द के मारे मरा जा रहा था। अब कुत्ता खरगोश के घाव को चाट-चाटकर उसे आराम पहुँचाने की कोशिश करने लगा। खरगोश कुत्ते के व्यवहार को देखकर दंग था और समझ नहीं पा रहा था कि वो क्या करे। वह जानने की कोशिश कर रहा था कि कुत्ता क्या चाहता है। “पहले मुझे यह बताओ, तुम मेरे दोस्त हो या दुश्मन? अगर तुम मेरे सच्चे दोस्त हो, तो तुमने मुझे इतने जोर से काटा क्यों? अगर तुम दुश्मन हो तो अब मेरे घावों को चाट क्यों रहे हो? या तो मुझे मार डालो या मुझे अपनी मर्जी से जीवन जीने दो।” |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#16 तीन कुत्ते थे, जो आपस में गहरे मित्र थे। एक दिन, तीनों कुत्ते भूखे थे और उन्हें खाने-पीने को कुछ नहीं मिल रहा था। अचानक उन्हें पानी की धारा में नीचे एक हड्डी पड़ी दिखी। उन्होंने वह हड्डी उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन उस तक नहीं पहुंच पाए। तीनों ने निश्चय किया कि अगर सारा पानी पी लिया जाए तो उन्हें हड्डी मिल जाएगी। तीनों ने पानी पीना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में उनके पेट भर गए और फूलने लगे। वे तब भी नहीं रुके और लगातार पानी पीते गए। उनके पेट और अधिक फूलते गए और फट गए। उनके पेटों से सारा पानी भी बाहर निकल पड़ा। तीनो कुत्ते उसी पानी की धारा में नीचे मरे पड़े थे। अगर तुम मूर्खतापूर्ण तरीकों से किसी असंभव कार्य करने की कोशिश करोगे तो तुम्हें हानि होना निश्चित है। |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#17 एक व्यापारी ने एक मंदिर बनवाना शुरू किया और मजदूरों को काम पर लगा दिया। एक दिन, जब मजदूर दोपहर में खाना खा रहे थे, तभी बंदरों का एक झुंड वहाँ आ गया। बंदरों को जो सामान हाथ लगता, उसी से वे खेलने लगते। एक बंदर को लकड़ी का एक मोटे लट्टे में एक बड़ी-सी कील लगी दिखाई दी। कील की वजह से लट्टे में बड़ी दरार सी बन गई थी। बंदर के मन में आया कि वह देखे कि आखिर वह है क्या। जिज्ञासा से भरा बंदर जानना चाहता था कि वह कील क्या चीज है। बंदर ने उस कील को हिलाना शुरू कर दिया। वह पूरी ताकत से कील को हिलाने और बाहर निकालने की कोशिश करता रहा। आखिरकार, कील तो बाहर निकल आई लेकिन लट्टे की उस दरार में बंदर का पैर फँस गया। कील निकल जाने की वजह से वह दरार एकदम बंद हो गई। बंदर उसी में फँसा रह गया और पकड़ा गया। मजदूरों ने उसकी अच्छी पिटाई की। |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#18 बहुत समय पहले की बात है, एक भारी किंग कोबरा एक घने जंगल में रहता था। वह रात में शिकार करता था और दिन में सोता रहता था। धीरे-धीरे वह काफी मोटा हो गया और पेड़ के जिस बिल में वह रहता था, वह उसे छोटा पड़ने लगा। वह किसी दूसरे पेड़ की तलाश में निकल पड़ा। आखिरकार, कोबरा ने एक बड़े पेड़ पर अपना घर बनाने का निश्चय किया, लेकिन उस पेड़ के तने के नीचे चींटियों की एक बड़ी बाँबी थी, जिसमें बहुत सारी चींटियाँ रहती थीं। वह गुस्से में फनफनाता हुआ बाँबी के पास गया और चींटियों को डाँटकर बोला, “मैं इस जंगल का राजा हूँ। मैं नहीं चाहता कि तुम लोग मेरे आस-पास रहो । मेरा आदेश है कि तुम लोग अभी अपने रहने के लिए कोई दूसरी जगह तलाश लो। अन्यथा, सब मरने के लिए तैयार हो जाओ! “ चींटियों में काफी एकता थी। वे कोबरा से बिलकुल भी नही डरीं। देखते ही देखते हजारों चींटियाँ बाँबी से बाहर निकल आईं। सबने मिलकर कोबरे पर हमला बोल दिया। उसके पूरे शरीर पर चींटियाँ रेंग- रेंगकर काटने लगीं! दुष्ट कोबरा दर्द के मारे चिल्लाते हुए वहाँ से भाग गया। |
Sujit_007 [PM 273] Rank : Premium A/C Expert Status : Administrator |
#19 एक कानी हिरनी समुद्र तट के पास घास चर रही थी। उसे हमेशा सतर्क रहना पड़ता था क्योंकि शिकारी कभी भी उस पर हमला कर सकते थे। वह बार-बार आसपास के मैदान पर नजर डाल लेती थी। उसका मानना था कि शिकारी आएँगे तो इसी रास्ते से आएँगे। वह समुद्र की ओर कभी नहीं देखती थी क्योंकि उसे लगता था कि समुद्र की ओर से तो शिकारी आएँगे नहीं। एक दिन, कुछ लोग एक नाव पर सवार होकर आए। हिरनी को चरते देखकर, उन्होंने उस पर तीर चला दिया। देखते ही देखते हिरनी जमीन पर गिर पड़ी। अंतिम साँस लेते हुए हिरनी स्वयं से बोली, “भाग्य का खेल कितना निराला है! मैं सोचती थी कि खतरा जमीन की ओर से आएगा, लेकिन मेरे दुश्मन तो समुद्र की ओर से आ गए।” खतरे प्राय: उस ओर से आते हैं, जहाँ से उनके आने की आशंका कम होती है। |
[PM 51] Rank : VIP Status : Member |
#20 i like to read such long stories thanks for share |
Sonu [PM 26] Rank : Shri Krishna Status : Head Admin |
#21 एक दिन यकायक बहुत जल्दी में वह पादरी के पास पहुंचा और बोला - मेरे लड़का हुआ है और उसका नामकरण-संस्कार कराना चाहता हूँ। उसका नाम क्या रखेंगे ? अपने पिता के नाम पर - फिन ! और गवाह कौन होंगे ? थोर्ड़ ने अपने पैरिश के कुछ प्रसिद्धतम सज्जनों और महिलाओं के नाम गिना दिए ! अच्छा और कुछ ? पादरी ने सर ऊपर उठाकर पूछा। तोर्ड कुछ देर हिचकिचाने के बाद बोला - मैं चाहता हूँ यहीं गिरजे में लाकर उसका नाम रखने की रस्म अदा की जाए। यानी इसी हफ्ते में किसी दिन ? हाँ अगले शनीचर को बारह बजे दोपहर को। ठीक। और कुछ ? पादरी ने पूछा नहीं तो - कहकर थॉर ने अपनी टोपी उठा ली और उसे लपेट-सी देते हुए चलने का उपक्रम किया। पादरी उठा - हाँ अभी एक बात बाकी है - और थोर्ड़ की तरफ बढ़ा और उसका हाथ पकड़कर और गंभीरतापूर्वक उसकी आँखों में अपनी दृष्टि गड़ाते हुए बोला - ईश्वर करे तुम्हारा बेटा तुम्हारे लिए वरदान सिद्ध हो ! सोलह वर्ष बाद ! आज थोर्ड़ फिर पादरी के पास आया था। ओह, वाकई थोर्ड़ तुम अपनी जिंदगी बड़े मजे में बिताते हो, - पादरी ने कहा क्योंकि आज सोलह वर्ष बाद भी उसने थोर्ड़ में रत्ती भर भी कोई परिवर्तन नहीं पाया - क्योंकि मुझे कोई तकनीक नहीं है - थोर्ड़ के इस उत्तर में संतोष और प्रसन्नता की सुगंध थी। पादरी चुप रहा, पर कुछ क्षणों बाद फिर पूछा - कहो आज क्या ख़ुशी की खबर है ? कल मेरा बेटा नौकरी पर मुस्तकिल हो जाएगा। बड़ा होनहार बेटा है। और मैं पादरी को तब कोई दक्षिण नहीं देना चाहता, जब तक कि मुझे यह न मालूम हो जाए कि गिरजे में बेटे को कौन-सा स्थान मिलेगा। उसे सबसे अगली जगह मिलेगी ! अच्छा तो फिर ठीक है। लीजिये यह दस डॉलर। और कुछ मेरे योग्य सेवा ? पादरी ने डॉलर लेकर थोर्ड़ की तरफ टकटकी लगाकर पूछा। और तो कुछ नहीं ! सब कृपा है आपकी। थोर्ड़ चला गया। और भी आठ बरस निकल गए। एक दिन पादरी साहब के कमरे के बाहर बड़ा शोर सुनाई पड़ता था, क्योंकि बहुत से लोग गिरजे में आ रहे थे। उन सबके आगे-आगे थोर्ड़ था। पादरी के कमरे में सबसे पहले थोर्ड़ घुसा। पादरी ने नजर ऊपर उठाई और पहिचान लिया - आज तो तुम बड़े ठाठ के साथ आए हो थोर्ड़ ! कहो क्या मामला है ? मैं इसलिए आया हूँ कि मेरे बेटे पर विवाह संबंधी नियम लागू कर दिए जाएं, क्योंकि गदमंद की लड़की कैरिन स्टोलिंदेन से उसकी शादी पक्की हो गई है। गदमंद यह रहे - उसने अपने पास ही खड़े हुए एक सज्जन की ओर इशारा करके कहा। ओह! तब तो वह इस पैरिश की सबसे धनी लड़की है। सुनता तो हूँ - थोर्ड़ ने हाथ से सिर के बाल ऊपर करते हुए कहा। कुछ देर तक पादरी चुप बैठा रहा, जैसे गहरे विचार में तल्लीन हो। फिर अपने रजिस्टर में बिना कुछ बोले उन लोगों के नाम लिख लिए। और वहां पर गदमंद और थोर्ड़ ने तीन डालर मेज कर दिए। दस्तखत करने के बाद थोर्ड़ ने तीन डालर मेज पर रख दिए। मैं सिर्फ एक ही ले सकता हूँ - पादरी ने कहा। सो तो ठीक है पर तो मेरा इकलौता बेटा है - बिलकुल इकलौता, इसलिए मैं उसकी शादी भी जरा शान के साथ करना चाहता हूँ। और तब पादरी ने वे तीनों डालर स्वीकार कर लिए। थोर्ड़ आज तुम तीसरी बार अपने बेटे की वजह से आए हो। लेकिन अब तो मैं उससे निबट गया, थोर्ड़ ने कहा और अपनी पाकिट-बुक बंद करते हुए धन्यवाद देकर चला गया। और उसके साथी भी पीछे-पीछे चले गए। एक पखवारे के बाद - दिन बहुत अच्छा लग रहा था। नाव में बाप-बेटे झील पार कर रहे थे। वे स्टोलिंदेन को ब्याहने जो जा रहे थे। अरे! यह जगह तो खतरनाक है, फिन से अपनीसीट को सीधा करने के लिए उसपर से उठते हुए थोर्ड़ ने कहा। जिस तख्ते पर फिन खड़ा हुआ था, वह उसी क्षण उसके पैरों तले से खिसक गया - उसने हाथ फेंके - चिल्लाया - और पानी में जा गिरा ! n थोर्ड़ चीखा - ले यह पतवार पकड़ ले, और फ़ौरन खड़े होकर उसने पतवार फिन की तरफ फेंकी। किन्तु फिन के हाथ में पतवार नहीं आई - उसने बहुतेरी कोशिश की और वह थककर अकड़ने भी लगा। अच्छा जरा ठहरो - घबराओ नहीं - थोर्ड़ ने आश्वासन दिलाया और नाव को उसकी तरफ खेने लगा। तब तक बेटे ने पलटा खाया - एक आंसू भरी नजर से अपने बाप को देखा और गड़प हो गया ! थोर्ड़ को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। नाव को एक ही जगह रोके हुए वह जगह को एकटक देखता रहा - जहाँ अभी-अभी फिन डूबा था - जैसे उस जगह को एकटक देखता रहा - जहाँ अभी-अभी फिन डूबा था - जैसे वह इंतजार कर रहा था कि अभी हाल ही मेरा ऊपर निकल आएगा। उसी जगह पर पानी में कुछ बुलबुले उठे, कुछ और उठे - और फिर एक बड़ा -सा बुलबुला उठा और फूटा गया ! झील की सतह फिर दर्पण की तरह स्वच्छ और निर्मल हो गई ! तीन दिन और तीन रात! न कुछ खाया, न जरा भी सोया। बराबर उसी जगह के चारों तरफ नाव में थोर्ड़ चक्क्र काटता रहा ! बेटे की लाश तो अभी तक नहीं मिली थी उसे। तीसरी रात खत्म होते-होते लाश ऊपर उतरा आई। उसे गोद में लेकर वह पहाड़ी की ऊपर अपने बाग़ की तरफ चला। करीब-करीब एक साल बाद। पतझड़ की वह शाम। कमरे के बाहर दालान में कुछ आहट सुनाई पड़ी- जैसे दरवाजे की कुण्डी खटखटा सा रहा था। पादरी ने जाकर दरवाजा खोल दिया। कमर झुकी हुई - सफेद बाल- लंबा और दुबला - एक आदमी कमरे में आ घुसा। पादरी उसे काफी देर तक गौर से देखता रहा - तब खिन जाकर उसे पहिचान पाया। वह थोर्ड़ ही था। इतनी देर में घर से निकले हो ? पादरी ने पूछा और फिर मौन होकर निश्छल खड़ा रह गया। हाँ, देर तो हो गई - कहकर थोर्ड़ कुर्सी पर बैठ गया। पादरी भी बैठ गया और जैसे कुछ प्रतीक्षा करने लगा। समय बीतता जा रहा था और बहुत सारा बीत गया - पर दोनों के दोनों चुप रहे। आखिरकार थोर्ड़ ने चुप तोड़ी - मैं गरीबो को कुछ देना चाहता हूँ - जिससे की मेरे बेटे का नाम चलता रहे। यह कहकर वह उठा, और कुछ डालर मेज पर रख दिए और फिर बैठ गया। पादरी ने डालर गिने। यह तो बहुत अधिक धन है, पादरी बोला। यह मेरे बाग़ की आधी कीमत है - आज ही मैंने बेंच कर चूका हूँ। फिर बहुत देर तक मौन बैठे रहने के बाद पादरी ने बड़ी विनम्रतापूर्वक कहा - तो फिर अब क्या करने का इरादा है ? कुछ भलाई का काम! थोड़ी देर तक दोनों फिर चुप बैठे रहे। थोर्ड़ की आँखे जमीन की तरफ झुक हुई थी और पाडर की आँखे थोर्ड़ की आँखे की तरफ। फिर शांत और धीमे स्वर में पादरी ने कहा - मैं सोचता हूँ की अब वास्तव में तुम्हारा बेटा तुम्हारे लिए वरदान बन गया। हां! मैं भी यह सोचता हूँ ! थोर्ड़ ने झुकी पलकें उठाकर कहा - और दो बड़े-बड़े आंसू सूखे झुर्रियोंदार गालों पर बह चले। |
Sonu [PM 26] Rank : Shri Krishna Status : Head Admin |
#22 क किसान ने अपने पड़ोसी की निंदा की । अपनी गलती का अहसास होने पर वह पादरी के पास क्षमा मांगने गया । पादरी ने उसको कहा कि वह पंखो से भरा एक थैला शहर के बीचोंबीच बिखेर दे । किसान ने वही किया, फिर पादरी ने कहा की जाओ और अब सभी पंख थैले में भर लाओ । किसान ने ऐसा करने की बहुत कोशिश की, मगर सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ गए थे । जब वह खाली थैला लेकर लौटा, तो पादरी ने कहा कि यही बात हमारे जीवन पर लागू होती है । तुमने बात तो आसानी से कह दी, लेकिन उसे वापस नहीं ले सकते, इसलिए शब्दों के चुनाव ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए । |
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#23 एक आदमी सड़क के किनारे समोसा बेचा करता था । अनपढ़ होने की वजह से वह अख़बार नहीं पढ़ता था । ऊँचा सुनने की वजह से रेडियो नहीं सुनता था और आँखे कमजोर होने की वजह से उसने कभी टेलीविजन भी नहीं देखा था । इसके बाबजूद वह काफी समोसे बेच लेता था । उसकी बिक्री और नफे में लगातार बढ़ोतरी होती गई । उसने और ज्यादा आलू खरीदना शुरू किया, साथ ही पहले वाले चूल्हे से बड़ा और बढ़िया चूल्हा खरीद कर ले आया । उसका व्यापार लगातार बढ़ रहा था, तभी हाल ही में कॉलेज से बी. ए. की डिग्री हासिल कर चुका उसका बेटा पिता का हाथ बँटाने के लिए चला आया । उसके बाद एक अजीबोगरीब घटना घटी । बेटे ने उस आदमी से पूछा, "पिताजी क्या आपको मालूम है कि हमलोग एक बड़ी मंदी का शिकार बनने वाले हैं ?" पिता ने जवाब दिया , "नहीं, लेकिन मुझे उसके बारे में बताओ ।" बेटे ने कहा - " अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियाँ बड़ी गंभीर हैं । घरेलू हालात तो और भी बुरे हैं । हमे आने वाले बुरे हालत का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए । " उस आदमी ने सोचा कि बेटा कॉलेज जा चुका है, अखबार पढ़ता है, और रेडियो सुनता है, इसलिए उसकी राय को हल्के ढंग से नहीं लेना चाहिए । दूसरे दिन से उसने आलू की खरीद कम कर दी और अपना साइन बोर्ड नीचे उतार दिया । उसका जोश खत्म हो चुका था । जल्दी ही उसी दुकान पर आने वालों की तादाद घटने लगी और उसकी बिक्री तेजी से गिरने लगी । पिता ने बेटे से कहा , "तुम सही कह रहे थे । हमलोग मंदी के दौर से गुजर रहे हैं । मुझे ख़ुशी है कि तुमने वक्त से पहले ही सचेत कर दिया ।" |
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#24 यह एक ऐसे बुद्धिमान वयक्ति की कहानी है जो अपने गाँव के बाहर बैठा हुआ था। एक यात्री उधर से गुजरा और उसने उस व्यक्ति से पूछा, इस गाँव में किस तरह के लोग रहते हैं क्योंकि मैं अपना गाँव छोड़ कर किसी और गाँव में बसने की सोच रहा हूँ। तब उस बुद्धिमान व्यक्ति ने पूछा, तुम जिस गाँव को छोड़ना चाहते हो, उस गाँव में कैसे लोग रहते हैं ? उस आदमी ने कहा, वे स्वार्थी, निर्दयी और रूखे हैं। बुद्धिमान व्यक्ति ने जवाब दिया इस गाँव में भी ऐसे ही लोग रहते हैं। कुछ समय बाद एक दूसरा यात्री वहाँ आया और उसने उस बुद्धिमान व्यक्ति से व्ही सवाल पूछा। बुद्धिमान व्यक्ति ने उससे भी पूछा, तुम जिस गाँव को छोड़ना चाहते हो, उस गाँव में कैसे लोग रहते हैं ? उस यात्री ने जवाब दिया, वहाँ के लोग विनम्र, दयालु और एक-दूसरे की मदद करने वाले हैं। तब बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा, इस गाँव में भी तुम्हें ऐसे ही लोग मिलेंगे। आम तौर पर हम दुनिया को उस तरह नहीं देखते जैसी वह है बल्कि जैसे हम खुद है वैसी देखते है। इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि - ज्यादातर मामलों में दूसरे लोगों का व्यवहार हमारे ही व्यवहार का आईना होता है। अगर हमारी नीयत अच्छी होती है तो हम दूसरों की नीयत भी अच्छी मान लेते हैं। हमारा इरादा बुरा होता है तो हम दूसरों के इरादों को भी बुरा मान लेते हैं। |
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#25 एक आदमी के मरने के बाद सेंट पीटर ने उससे पूछा कि तुम स्वर्ग में जाना चाहोगे या नर्क में। उस आदमी ने पूछा कि फैसला करने से पहले क्या मैं दोनों जगहें को देख सकता हूँ। सेंट पीटर पहले उसे नर्क ले गए, वहाँ उसने एक बहुत बड़ा हॉल देखा जिसमें एक बड़ी मेज पर तरह-तरह की खाने की चीजें रखी थी। उसने पीले और उदास चेहरे वाले लोगों की कतारें भी देखीं। वे बहुत भूखे जान पड़ रहे थे और वहां कोई हंसी-खुशी न थी। उसने एक और बात पर गौर किया की उनके हाथों में चार फुट लंबे कांटे और छुरियाँ बँधी थी। जिनसे वे मेज के नीचे पर पड़े खाने को खाने की कोशिश कर रहे थे। मगर वे खा नहीं पा रहे थे। फिर वह आदमी स्वर्ग देखने गया। वहां भी एक बड़े हॉल में एक बड़ी मेज पर ढेर सारा खाना लगा था। उसने मेज के दोनों तरफ लोगों की लंबी कतारें देखी जिनके हाथों में चार फुट लंबी छुरी और काँटे बंधे हुए थे, ये लोग खाना लेकर मेज की दूसरे तरफ से एक-दूसरे को खिला रहे थे जिसका नतीजा था - खुशहाल, समृद्धि, आनंद और संतुष्टि। वे लोग सिर्फ अपने बारे में ही नहीं सोच रहे थे बल्कि सबकी जीत के बारे में सोच रहे थे। यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है। |
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#26 एक कहानी है कि प्राचीन भारत के किसी साधु महात्मा को राह चलते एक आदमी ने गालियाँ दी उस महात्मा ने बिना परेशान हुए उन बातों को तब तक सुना जब तक वह आदमी बोलते-बोलते थक न गया। तब उन्होंने उस आदमी ने पूछा अगर किसी की दी हुई चीज़ न ली जाये तो वह चीज़ किसके पास रहेगी ? आदमी ने जवाब दिया कि चीज देने वाले के पास ही रह जाएगी। महात्मा ने कहा, मैं तुम्हारी इस दें को लेने से इंकार करता हूँ और वह उस आदमी को हक्का-बक्का और हैरान छोड़ कर चल दिए। उस महात्मा का खुद पर अंदरूदी कण्ट्रोल था। |
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#27 क खरगोश अपना सामान उठाकर खुशी-खुशी जा रहा था उसे रास्ते में एक हिरन मिला । हिरन ने कहा - क्या बात है खरगोश मियाँ, बड़े खुश नजर आ रहे हो । मेरी शादी हो गई है । खरगोश बोला । बड़े भाग्यशाली हो भाई, हिरन ने कहा । शायद नहीं, क्योंकि मेरी शादी एक बहुत ही घमंडी खरगोशनी से कर दी गई है । उसने मुझसे बड़ा घर, ढेर सारे पैसे और कपड़े माँगे, जो मेरे पास नहीं थे । खरगोश ने उत्तर दिया । बड़े दुःख की बात है न , हिरन ने धीरे से कहा । शायद नहीं, क्योंकि मैं उसे बहुत चाहता हूँ । इसीलिए मैं खुश हूँ कि वह मेरे साथ तो है । खरगोश बोला । वाह, बड़े भाग्यशाली हो भाई, हिरन खुश होकर बोला । शायद नहीं भैया, क्योंकि शादी के अगले ही दिन मेरे घर में आग लग गई, खरगोश ने कहा । अरे रे। ......बड़े दुःख की बात है, हिरन बोला । शायद नहीं, क्योंकि मैं अपना सामान बाहर निकाल लाया और उसे जलने से बचा लिया, खरगोश बोला । अच्छा बड़े भाग्यशाली हो भाई, हिरन ने लंबी साँस छोड़ते हुए कहा। नहीं भाई, शायद नहीं, क्योंकि जब आग लगी तो मेरी पत्नी अंदर सो रही थी । खरगोश ने उदास स्वर में कहा । ओहो, ये तो बड़े दुःख की बात है, हिरन बोला । नहीं, नहीं बिलकुल नहीं, क्योंकि मैं आग में कूद पड़ा और अपनी प्यारी पत्नी को सही-सलामत बाहर निकाल लाया । और जानते है सबसे अच्छी बात क्या हुई । इस घटना से उनसे सीख लिया है कि सबसे प्यारी चीज है जिंदगी । पैसा, घर और कपड़े हों या न हों लेकिन आपस का प्यार होना बहुत जरूरी है! खरगोश ने मुस्कुराते हुए कहा । |
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#28 एक लोमड़ी के पीछे शिकारी पड़े थे। लोमड़ी भागते-भागते एक लकड़हारे के पास पहुंची और उससे शरण माँगने लगी। लकड़हारे ने अपनी झोपड़ी की ओर इशारा करते हुए लोमड़ी से उसमें छिप जाने को कह दिया। थोड़ी ही देर में शिकारी वहाँ आ पहुंचे। उन्होंने लकड़हारे से पूछा, “क्या तुम्हें कोई लोमड़ी दिखी यहाँ?” लकड़हारे ने जवाब दिया, “नहीं,” लेकिन चुपचाप अपनी झोपड़ी की ओर इशारा कर दिया। शिकारी उसके इशारे को नहीं समझ पाए और वहाँ से चले गए। लोमड़ी झोपड़ी से बाहर निकलकर आई और भागने लगी। लकड़हारे ने उसे आवाज लगाई और कहा, “तुम कितनी कृतघन हो! अपनी जान बचाने के लिए तुमने मुझे धन्यवाद तक नहीं दिया!” लोमड़ी रूखे स्वर में बोली, “अगर तुम्हारे बोल की तरह तुम्हारे इशारे भी भरोसे लायक होते तो मैं तुम्हें धन्यवाद जरूर देती।” कई बार एक हल्का-सा इशारा, बोले गए शब्दों से ज्यादा बुरे होते हैं। |
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#29 एक बार की बात है। एक भेड़िए ने एक भेड़ को मार डाला और वह उस मरी हुई भेड़ को अपनी माँद में लेकर जाने ही वाला था कि अचानक एक शेर आ गया। वह शेर उस पर झपट पड़ा और भेड़ को छीनने का प्रयास करने लगा। भेड़िया शेर को देखकर चिल्लाया, “तुम्हें शर्म आनी चाहिए । तुम जंगल के राजा हो। तुम्हारे ऊपर सारे जानवर विश्वास करते हैं। तुम अब खुद ही मेरा शिकार छीन रहे हो? तुम तो इस जंगल के कलंक हो!” शेर हँस पड़ा और बोला, “मुझे क्यों शर्म आए? मैं तुमसे शिकार छीनने में क्या बुराई है, जबकि तुम्हारा तो काम ही चोरी करके पेट भरना है। मेरे ऊपर इस तरह का आरोप लगाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, सड़ियल जानवर? शर्म तो तुम्हें आनी चाहिए क्योंकि तुमने चरवाहे की भेड़ चुराई है।” एक चोर दूसरे चोर से अच्छा नहीं हो सकता। |
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#30 गर्मी का दिन था और एक शेर अपनी माँद में लेटा झपकी ले रहा था। अचानक एक चूहा अनजाने में उसके ऊपर कूद पड़ा। शेर की नींद टूट गई। शेर ने चूहे को पंजे में दबोच लिया और उसे मसलने ही वाला था कि चूहा गिड़गिड़ाकर जान की भीख मांगने लगा। शेर को उस पर दया आ गई और उसने चूहे को छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद, शेर जंगल में घूम रहा था। तभी अचानक वह शिकारियों के लगाए जाल में फँस गया। जाल की रस्सियों में वह इतनी बुरी तरह से उलझ गया कि वह हिल तक नहीं पा रहा था। शेर जमीन पर पड़ा था और असहाय होकर चिल्ला रहा था। उसके चीखने की आवाज जंगल में गूंजने लगी। चूहे ने भी वह आवाज सुनी। वह भी दौड़ा-दौड़ा पहुँचा। चूहे ने तुरंत जाल को अपने नुकीले दाँतों से काटना शुरू कर दिया। कई बार छोटे और तुच्छ समझे जाने वाले लोग भी बड़े उपयोगी साबित होते हैं। |
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#31 बहुत समय पहले की बात है। तेज गर्मी में एक दिन पक्षियों का राजा अपने साथी पक्षियों के साथ भोजन की तलाश में किसी नई जगह के लिए उड़ चला। उसने सारे पक्षियों से हर ओर भोजन की तलाश करने को कहा। सारे पक्षी भोजन की तलाश में दूर-दूर फैल गए। एक पक्षी एक राजमार्ग पर पहुंचा। वहाँ उसने देखा कि बहुत सारी बैलगाड़ियों में अनाज के बोरे लदे हैं। उसने यह भी देखा कि जब गाड़ियाँ आगे बढ़ती हैं तो उनसे बहुत सारा अनाज नीचे गिर रहा है। वह बहुत प्रसन्न हुआ और उसने जल्दी से राजा को इस स्थान के बारे में सबसे पहले बताने का निश्चय किया। वह उड़कर वापस आया और राजा से कहने लगा, “महाराज, मैंने सड़क पर देखा है कि बहुत सारी बैलगाड़ियों पर अनाज के बोरे लदे जा रहे हैं, जिनसे अनाज गिर रहा है। हालाँकि, अगर आप सड़क पर नीचे दाने चुगेंगे, तो गाड़ियों से कुचले जा सकते हैं । वहाँ न जाने में ही भलाई है।” पक्षियों के राजा को उसकी सलाह उचित लगी। उसने सभी पक्षियों को उस सड़क पर न जाने की चेतावनी दे दी। नन्हाँ पक्षी हर दिन उस जगह जाता और अकेले ही अपना पेट भरकर आ जाता। एक दिन जब वह दाने चुग रहा था, तभी एक बैलगाड़ी निकली और वह लालची पक्षी कुचलकर मर गया। |
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#32 शिकारियों के हमले से एक लोमड़ी की जान तो बच गई लेकिन उसकी पूँछ कट गई। उसे बहुत शर्म आ रही थी। अपनी शर्म छिपाने के लिए उसने सारी लोमड़ियों की सभा बुलाई और बोली, “मेरे साथियो, मेरे ऊपर ईश्वर ने विशेष कृपा की है और मेरी पूँछ हटा दी है। अब मैं सुखी और आरामदायक जीवन जी सकता हूँ। हमारी पूछें तो कुरूप और बोझ जैसी हैं। हैरानी की बात है कि हमने अब तक अपनी पूँछों को काटा क्यों नहीं! मेरी सलाह मानो और सब लोग अपनी-अपनी पूँछे काट डालो।’ “ एक चालाक लोमड़ी उठ खड़ी हुई और हँसते हुए बोली, “अगर मेरी पूँछ भी कट गई होती, तब तो मैं तुम्हारी बात का समर्थन कर देती। लेकिन मेरी पूँछ तो सकुशल है तो मैं या बाकी लोमड़ियाँ अपनी-अपनी पूँछ क्यों काटें? तुम अपनी स्वार्थी सलाह अपने पास ही रखो।” |
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