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Forum Main>>Sms/Jokes/Poems>>

कोशिश अच्छे विचारों की

Page: 22   
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#421
आपसे लोगों की अपेक्षाओं का कोई अंत नहीं है,

जहां आप चूके, वहीं लोग बुराई निकाल लेते हैं,

और पिछली सारी अच्छाइयों को भूल जाते हैं ।


इसलिए अपने कर्म करते चलो,
लोग आपसे कभी भी संतुष्ट नहीं हो पाएंगे।

━━━━✧❂✧━━━━
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#422
???????

*उन व्यक्तियों के जीवन में,*
*"आनंद और शांति ",*
*कई गुणा बढ़ जाती हैं...!*


*जिन्होंने "प्रशंसा और निंदा" में,*
*एक जैसा रहना सीख लिया हो...!!*?❤️



*??सुप्रभात??*
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#423
*श्याम भक्ति का नशा सारी उम्र न उतरे,*
*श्याम की भक्ति में सारी जिन्दगी गुजरे।*
*दीवाने दिल की तड़प कुछ तो काम आये,*
*मेरे लब जब भी खुले सिर्फ श्याम का नाम आये*

*?ॐ श्री श्याम देवाय नमः ?*
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#424
*"दर्द" एक संकेत है कि तुम "जिंदा" हो*
*"समस्या" एक संकेत है कि तुम मजबूत हो*
*"प्रार्थना" एक संकेत है कि तुम अकेले नहीं हो*।

???? *सुप्रभात*????
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#425
??

*सिर्फ एक गलती की देर है*
*फिर लोग भूल जाएंगे की*

*आप पहले कितने अच्छे थे।*

??
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#426
?????

शरीर से
महत्वपूर्ण
इंद्रियां.......हैं।
इंद्रियों से महत्वपूर्ण
मन है..मन से महत्वपूर्ण
बुद्धि है।बुद्धि से
महत्वपूर्ण
विवेक
है।


विवेक से महत्वपूर्ण भाव है।
भाव से महत्वपूर्ण आत्मा है।

?..........?️.........✍??
*आप से प्रेम बांटने को उत्सुक,*
*आप के ह्रदय के समीप,*
*आपका मित्र* ☀️?


*??सुप्रभात??*
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#427
*किस हद तक जाना है*
*कौन जानता है,*
*किस मंज़िल को पाना है*
*कौन जानता है,*
*अपनो के साथ दो पल, जी भर के जी लो यारों,*
*कब बिछड़ जाना है*
*कौन जानता है।*

*?जय श्री श्याम??*
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#428
*संगत का प्रभाव*
एक राजा का तोता मर गया। उन्होंने कहा-- मंत्रीप्रवर! हमारा पिंजरा सूना हो गया। इसमें पालने के लिए एक तोता लाओ।
.
तोते सदैव तो मिलते नहीं। राजा पीछे पड़ गये तो मंत्री एक संत के पास गये और कहा-- भगवन्! राजा साहब एक तोता लाने की जिद कर रहे हैं। आप अपना तोता दे दें तो बड़ी कृपा होगी। संत ने कहा- ठीक है, ले जाओ।

.
राजा ने सोने के पिंजरे में बड़े स्नेह से तोते की सुख-सुविधा का प्रबन्ध किया।
.
ब्रह्ममुहूर्त में तोता बोलने लगा-- जय श्री राम ,,, ओम् तत्सत्....ओम् तत्सत् ... उठो राजा! उठो महारानी! दुर्लभ मानव-तन मिला है। यह सोने के लिए नहीं, भजन करने के लिए मिला है।
.
'चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर। तुलसीदास चंदन घिसै तिलक देत रघुबीर।।'
.
कभी रामायण की चौपाई तो कभी गीता के श्लोक उसके मुँह से निकलते। पूरा राजपरिवार बड़े सवेरे उठकर उसकी बातें सुना करता था। राजा कहते थे कि सुग्गा क्या मिला, एक संत मिल गये।
.
हर जीव की एक निश्चित आयु होती है। एक दिन वह सुग्गा मर गया। राजा, रानी, राजपरिवार और पूरे राष्ट्र ने हफ़्तों शोक मनाया। झण्डा झुका दिया गया।
.
किसी प्रकार राजपरिवार ने शोक संवरण किया और राजकाज में लग गये। पुनः राजा साहब ने कहा-- मंत्रीवर ! खाली पिंजरा सूना-सूना लगता है, एक तोते की व्यवस्था हो जाती!
मंत्री ने इधर-उधर देखा, एक कसाई के यहाँ वैसा ही तोता एक पिंजरे में टँगा था। मंत्री ने कहा कि इसे राजा साहब चाहते हैं।
.
कसाई ने कहा कि आपके राज्य में ही तो हम रहते हैं। हम नहीं देंगे तब भी आप उठा ही ले जायेंगे।
.
मंत्री ने कहा-- नहीं, हम तो प्रार्थना करेंगे।
.
कसाई ने बताया कि किसी बहेलिये ने एक वृक्ष से दो सुग्गे पकड़े थे। एक को उसने महात्माजी को दे दिया था और दूसरा मैंने खरीद लिया था। राजा को चाहिये तो आप ले जायँ।
.
अब कसाईवाला तोता राजा के पिंजरे में पहुँच गया।
.
राजपरिवार बहुत प्रसन्न हुआ। सबको लगा कि वही तोता जीवित होकर चला आया है।
.
दोनों की नासिका, पंख, आकार, चितवन सब एक जैसे थे। लेकिन बड़े सवेरे तोता उसी प्रकार राजा को बुलाने लगा जैसे वह कसाई अपने नौकरों को उठाता था कि..
.
उठ ! हरामी के बच्चे! राजा बन बैठा है। मेरे लिए ला अण्डे, नहीं तो पड़ेंगे डण्डे!
.
राजा को इतना क्रोध आया कि उसने तोते को पिंजरे से निकाला और गर्दन मरोड़कर किले से बाहर फेंक दिया।
.
दोनों सुग्गे, सगे भाई थे। एक की गर्दन मरोड़ दी गयी, तो दूसरे के लिए झण्डे झुक गये, भण्डारा किया गया, शोक मनाया गया।
.
आखिर भूल कहाँ हो गयी ? अन्तर था तो संगति का ! सत्संग की कमी थी।
तो जैसा संग वैसा रंग

भावार्थ:-
परमात्मा ने भाग्य की कलम हमारे हाथ में दी है जैसे भी लिखना चाहो। अच्छी संगत का असर इंसान के स्वभाव और मन पर पड़ता है।
जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान् यह है गीता का ज्ञान।

_*खुश रहिए और मुस्कुराइए।*
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है!!*_
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#429
*कौन कहता है कि बड़ी गाड़ियों में ही सफर अच्छा होता है,*
*सच्चे रिश्ते और अच्छे मित्र साथ हो तो*
*जिंदगी पैदल भी मजेदार होती है।*
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#430
*परिंदे शुक्रगुजार हैं,*
*पतझड़ के भी दोस्तो....*
*तिनके कहां से लाते,*
*अगर हमेशा बहार रहती।*
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#431
???????

*सिर्फ बंधन को*
*विश्वास नहीं कहते,....*

*हर आँसू को जज्बात*
*नहीं कहते ।......*

*किस्मत से मिलते है*
*रिश्ते जिंदगी में,......*

*इसलिए रिश्तों को कभी*
*इत्तेफ़ाक़ नहीं कहते ......*


*??सुप्रभात??*
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#432
???????

*???: एक खूबसूरत सोच :➖*


*✍?जन्म से ना तो कोई दोस्त पैदा होता है*
*और ना ही दुश्मन, वह तो हमारे घमंड,*
*ताकत या व्यवहार से बनते है।*

*ज़िंदगी को अगर खुल कर जीना है*
*तो थोडा सा झुक कर जियो,*
*तब देखो फिर,*
*ये ईश्वर आपको कितना ऊँचा उठा देंगा....*

*❣दिल से लिखी बातें*
*दिल को छू जाती हैं*

*कुछ लोग मिलकर बदल जाते हैं*
*और*
*कुछ लोगों से मिलकर*
*जिन्दगी बदल जाती है।*


*??सुप्रभात??*
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#433
*तालाब सदा कुँऐ से*
*सैंकड़ों गुना बड़ा होता*
*है फिर भी लोग कुँऐ का*
*ही पानी पीते हैं.,*
*क्योंकि कुँऐ में गहराई*
*और शुद्धता होती है…!*
*मनुष्य का बड़ा होना*
*अच्छी बात है., लेकिन*
*उसके व्यक्तित्व में*
*गहराई और विचारों में*
*शुद्धता भी होनी चाहिए*
*तभी वह महान बनता है…!!*

*??जय श्री कृष्णा??*
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#434
?????

*जीवन में उन सपनों का...*
*कोई भी महत्व नहीं,*

*जिनको पूरा करने के लिए...*
*अपनों से ही छल करना पड़े।*


*??सुप्रभात??*
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#435
*जीवन में उन सपनों का...*
*कोई भी महत्व नहीं,*

*जिनको पूरा करने के लिए...*
*अपनों से ही छल करना पड़े।*
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#436
*दूसरों की गलतियों से*
*सीखने में ही बुद्धिमानी है,*
*जिंदगी इतनी बड़ी नही होती*
*कि सारी गलतियां खुद करके सीखें।*
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#437

*भरोसा सब पर किजिए, लेकिन सावधानी के साथ, क्योकि कभी कभी खुद के दांत भी जीभ को काट लेते है ।*
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#438
चलते देखा है लोगो को
अक्सर अपनी चाल से तेज
पर वक्त और तक़दीर से आगे
कभी कोई निकल नहीं पाया
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#439
जिन्दगी में ऐसे लोग भी मिलते है
जो वादे तो नहीं करते लेकिन
निभा बहुत कुछ जाते है
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#440
बात कहने के सौ तरीके हैं

कुछ न कहना भी एक तरीका है

???
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#441
*कुछ सिखाकर ये दौर भी गुजर जायेगा..*
*फिर एक बार हर इंसान मुस्कुराएगा...*
*मायूस न होना इस बुरे वक़्त से,*
*कल ,आज है और आज , कल हो जाएगा।*स्वस्थ रहो*मस्त रहो*अपनी ओर अपनोकी*सुरक्षा में व्यस्त रहो*जियो ओर जिनेदो*✊????☺️
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#442
An eye for eye make the whole world Blind
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#443
बात बस नजरिए की है,काफी अकेला हूं,या अकेला काफ़ी हूं
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#444

अगर जिंदगी में सुकून चाहते हो तो

Focus अपने काम पर करो लोगों की

बातो पर नहीं..
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#445

जो मेहनत पे भरोसा करते हैं

वो किस्मत की बात कभी नही करते"
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#446
मंजिलें भी जिद्दी हैं .
रास्ते भी जिद्दी हैं,
देखते है कल क्या होगा,
हौसले भी तो जिद्दी हैं
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#447
उड़ान तो भरना है।
चाहे कई बार गिरना पड़े
सपनों को पूरा करना है
चाहे खुद से भी लड़ना पड़े
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#448
व्यक्ति खुद को control
कर सकता है वो जिंदगी में कुछ
भी कर सकता है।

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#449
*तराशिये खुद को कुछ इस क़दर,*

*कि*

*पाने वाले को नाज हो,*
*और खोने वाला अफसोस में* *रहे।*

*?प्रातः नमन??*
*?जय श्री कृष्णा??*
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#450
*कभी कभी रिश्तों की कीमत वो समझा देते हैं*


*जिनसे हमारा कोई रिश्ता ही नहीं होता है..!!*

*सुप्रभात*??
*जय श्री कृष्णा*??
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#451
जो मेहनत पे भरोसा करते हैं

वो किस्मत की बात कभी नही करते"
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#452
एक बात बोलू ....
जो आपकी खुशी में अपना दर्द भूल जाएं
उस इंसान से ज्यादा आपको कोई प्यार नही कर सकता

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#453
बेवजह ही खुश रहो यारो क्योंकि
इस जमाने मे खुश रहने की वजह बहुत महंगी है।।

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#454
*बड़ों की बातें हमेशा ध्यान से सुनो , क्योंकि वे जब भी कुछ कहते है तो अपने तजुर्बे से कहते है!*
*?जय श्री महाँकाल?*
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#455
*मिले हुए समय को*
*ही अच्छा बनाए अगर*
*अच्छे समय की राह*
*देखोगे तो पूरा जीवन **
*कम पड़ जायेगा ।*

?✨ *सुप्रभात*?✨
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#456
*हार जाना गलत नहीं है..*
*लेकिन हार मान*
*लेना गलत*
*है..*

*क्योंकि पूर्ण-विराम केवल अन्त ही नहीं,*
*एक नये "वाक्य" की*
*शुरुआत भी*
*है!*

*??सुप्रभात??*
*?? जय श्री कृष्णा??*
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#457
*खूबसूरत चेहरा भी*
*बूढ़ा हो जाता है*
*ताकतवर जिस्म भी*
*एक दिन ढल जाता है*
*ओहदा और पद भी*
*एक दिन खत्म होता है*

*लेकिन एक अच्छा इंसान*
*हमेशा अच्छा इंसान ही रहता है।*

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#458
दुःख हमें इंसान बनाता है,
हार हमें विनम्रता सिखाती है,
अभ्यास हमें बलवान बनाता है,
जीत हमारे व्यक्तित्व को निखारती है।

लेकिन सिर्फ़ विश्वास ही है,
जो हमें आगे बढने की
प्रेरणा देता है इसलिए

हमेशा अपने लोगों पर
अपने आप पर और
अपने ईश्वर पर विश्वास
रखना चाहि
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#459
*अपने भविष्य को*
*पूरी शक्ति से अपने भीतर खींचे..!*
*अपने वर्तमान को*
*अपनी क्षमता अनुसार रोक कर रखें..!!*

*अपने भूतकाल को*
*पूरी ताकत से बाहर निकाल दें..!*

*यही है सर्वश्रेष्ठ जीवन योग..!!*

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#460
*?? सुविचार ??*
*सच्चे साथ देने वालों की*
*बस एक ही निशानी है,* ..
*कि,*वो ज़िक्र नही करते*............!
*हमेशा फिक्र किया करते हैं..*!


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#461
*हर कोई चन्दन नहीं,*
*कि 'सुगन्धित' कर सके;*

*कुछ नीम के पेड़ भी हैं,*

*जो सुगन्धित तो नहीं करते*
*पर काम बहुत आते हैं।*

? *प्रातः नमन* ?
? *जय श्री कृष्णा* ?
*❣️ ❣️*
⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️
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#462


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#463
*"मन के अनुकूल" हो तो*
*"हरि कृपा"*
*और*
*"मन के विपरीत" हो तो*
*"हरि इच्छा"*

*इस तथ्य को धारण कर लें*
*तो जीवन में आनंद ही आनंद है।*

*जय श्री कृष्णा*
????????
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#464
*_જિંદગીને સમજવા માટે ખોટા વ્યક્તિ પર વિશ્વાસ કરવો ખુબ જ જરૂરી છે !!_*

*?શુભ સવાર?*

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#465
*સમસ્યા ઉપર ચેલેન્જનું લેબલ મારો રોજ સવારે દિવસની શરૂઆત બાંય ચઢાવીને કરો*

*_?Good MorninG_?*
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#466
*किस हद तक जाना है*
*कौन जानता है,*
*किस मंज़िल को पाना है*
*कौन जानता है,*
*अपनो के साथ दो पल, जी भर के जी लो यारों,*
*कब बिछड़ जाना है*
*कौन जानता है।*

*?जय श्री श्याम??*-----------------
1 ❤:
raman31,
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#467
?राधे राधे हरे हरे ?
हरे कृष्णा हरे कृष्णा ।
कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे राम हरे राम ।
राम राम हरे हरे ।
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#468
*मरे हुए लोग ही नही...*

*कभी कभी जिंदा लोग भी लौटकर नही आते...*


*®️*
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#469
*जब हारने से काम बन रहा हो तो,* *फ़िर जीत की ख्वाहिश छोड़ देनी चाहिए ..!*

...❣️☕
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#470
*इसलिए तो ज़माने में अजनबी हूँ मैं !*

*लोग सारे फ़रिश्ते हैं और साधारण हूँ मैं !!*

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#471
*दुआएं जमा,*
*करने में लग जाओ साहब,*

*खबर पक्की है,*
*दौलत और शोहरत साथ,*
*नहीं जाएगी,*
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#472
Keep it up bro ???

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#473
------कभी कभी .....
.......रिश्तो की क़ीमत
वो लोग समझा देते हैं,,,,,

जिनसे हमारा कोई....
रिश्ता तक नहीं होता..!! ?

????
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#474
??

*वृक्ष कितना भी मजबूत क्यों न हो, समय के अनुरूप फूल, फल आते रहते हैं, झड़ते रहते हैं.....*

*उसी तरह हम कितने भी नीति पूर्वक जियें कष्ट और आँसू आते रहते हैं..... जाते रहते हैं।*

*सीखने वाली बात हड़बड़ाना नहीं दृढ़ता से खड़े रहना।*


*शुभ प्रभात*


???
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#475
*"लगन" व्यक्ति से वो करवा लेती है,*
*जो वह नहीं कर सकता...*
*"साहस' व्यक्ति से वो करवाता है,*
*जो वह कर सकता है...*
*किन्तु*
*"अनुभव"व्यक्ति से वही करवाता है,*
*जो वास्तव में उसे करना चाहिये !!!*
????????
*"अवसर"और "सूर्योदय" में एक ही समानता है,देर करने वाले इन्हें हमेशा खो देते हैं।*
?जय माता दी ?
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#476
✍?✍?✍?
*भावनाओं को समझने बाला*
*एक अनपढ़ आदमी*

*दुनियां का सबसे पड़ा लिखा*
*आदमी होता है*
*?राधे राधे?*
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#477
???????

*यूं ही न अपने मिजाज*
*को चिड़चिड़ा कीजिये,*

*अगर कोई बात छोटी करे*
*तो आप दिल बड़ा कीजिये...*

*एक जैसी ही दिखती थी*
*माचिस की वो तीलियाँ,*
*कुछ ने "दीए" जलाये*
*और कुछ ने "घर",*

_*मिली हैं रूहें तो,*
*रस्मों की बंदिशें क्या है,*_

_*यह जिस्म तो ख़ाक हो जाना है फिर रंजिशें क्या हैं,*_

*है छोटी सी ज़िन्दगी तकरारें किस लिए,*
*रहो एक दूसरे के दिलों में यह दीवारें किस लिए....*



*??सुप्रभात??*
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#478
? जय श्री राधेकृष्णा ?

“जिसका उदय निश्चित है उसे दुनिया की कोई ताक़त नहीं रोक सकती...!!!"

सुप्रभात...

??आपका दिन शुभ हो...??
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#479
♥️ पता नहीं क्यों पिताजी हमेशा पिछड़ रहे हैं।
1. माँ की तपस्या 9 महीने की होती है! पिताजी की तपस्या 25 साल तक होती हैं, दोनों बराबर हैं, मगर फिर भी पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं।
2. माँ परिवार के लिए भुगतान किए बिना काम करती है, पिताजी भी अपना सारा वेतन परिवार के लिए ही खर्च करते हैं, उनके दोनों के प्रयास बराबर हैं, फिर भी पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं।
3. माँ आपको जो चाहे पकाती है, पिताजी भी आप जो भी चाहते हैं, खरीद देते हैं, प्यार दोनों का बराबर है, लेकिन माँ का प्यार बेहतर है। पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं।
4. जब आप फोन पर बात करते हैं, तो आप पहले मॉम से बात करना चाहते हैं, अगर आपको कोई चोट लगी है, तो आप 'मॉम' का रोना रोते हैं। आपको केवल पिताजी की याद होगी जब आपको उनकी आवश्यकता होगी, लेकिन पिताजी को कभी बुरा नहीं लगता कि आप उन्हें सदैव और हर बार याद नहीं करते? जब पीढ़ियों के लिए बच्चों से प्यार प्राप्त करने की बात आती है, तो कोई यह नहीं जानता कि पिताजी क्यों पिछड़ रहे हैं।
5. अलमारी बच्चों के लिए रंगीन कपड़ो व साड़ियों और कई कपड़ों से भरी होगी लेकिन पिताजी के कपड़े बहुत कम हैं, वह अपनी जरूरतों के बारे में परवाह नहीं करते हैं, फिर भी यह नहीं जानते कि पिताजी क्यों पिछड़ रहे हैं।
6. माँ के पास सोने के कई गहने हैं, लेकिन पिताजी के पास केवल एक अंगूठी है जो उनकी शादी के दौरान दी गई थी। फिर भी माँ को कम आभूषण की शिकायत हो सकती है और पिताजी को नहीं। अभी भी नहीं पता कि पिताजी क्यों पिछड़ रहे हैं।
7. परिवार की देखभाल करने के लिए पिताजी अपना सारा जीवन बहुत परिश्रम करते हैं, लेकिन जब मान्यता प्राप्त करने की बात आती है, तो पता नहीं क्यों वह हमेशा पीछे रह जाते है।
8. माँ कहती है, हमें इस महीने कॉलेज ट्यूशन का भुगतान करने की आवश्यकता है, कृपया त्योहार के लिए मेरे लिए एक साड़ी न खरीदें, जबकि पिताजी ने अपने नए कपड़ों के बारे में तो कभी सोचा भी नहीं। दोनों का प्यार बराबर है, फिर भी पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं।
9. जब माता-पिता बूढ़े हो जाते हैं, तो बच्चे कहते हैं, माँ घर के कामों में कम से कम मदद करती हैं, लेकिन वे कहते हैं, पिताजी बेकार हैं। घर में फालतू पड़े रहते हैं।
पिताजी पीछे हैं (या the सबसे पीछे &rsquo क्योंकि वह परिवार की रीढ़ हैं। उसकी वजह से हम अपने दम पर खड़े हो पा रहे हैं।
शायद, यही कारण है कि वह पिछड़ रहै है .... !!! क्योंकि रीढ़ ही शरीर को साधे रहती है मगर वो सबसे पीछे होती है
? ?
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#480
*पिता की तरफ से बेटी को अदभुत भेंट*

?????????

*विवाह के बाद, पहली बार मायके आयी बेटी का स्वागत सप्ताह भर चला।*

*सम्पूर्ण सप्ताह भर बेटी को जो पसन्द है, वही सब किया गया, वापिस ससुराल जाते समय, पिता ने बेटी को एक अति सुगंधित अगरबत्ती का पुडा दिया, और कहाकि बेटी तुम जब ससुराल में पूजा करने जाओगी तब यह अगरबत्ती जरूर जलाना,*

*माँ ने कहा, बिटिया प्रथम बार मायके से ससुराल जा रही है, तो ऐसे कोई अगरबत्ती जैसी चीज कोई देता है भला,*

*पिता ने झट से जेब में हाथ डाला और जेब में जितने भी रुपये थे वो सब बेटी को दे दिए,*

*ससुराल में पहुंचते ही सासु माँ ने बहु के मात-पिता ने बेटी को बिदाई में क्या दिया यह देखा, तो वह अगरबत्ती का पुडा भी दिखा, सासु माँ ने मुंह बना कर बहु को बोला कि , कल पूजा में यह अगरबत्ती लगा लेना,*

*सुबह जब बेटी पूजा करने बैठी तो वह अगरबत्ती का पुडा खोला, उसमे से एक चिट्ठी निकली,*

*_लिखा था....*

*!! "बेटा यह अगरबत्ती स्वतः जलती है, मगर संपूर्ण घर को सुगंधी कर देती है, इतना ही नहीं आजु-बाजू के पूरे वातावरण को भी अपनी महक से सुगंधित एवम प्रफुल्लित कर देती है....!!*

*हो सकता है कि तुम कभी पति से कुछ समय के लिए रुठ जाओगी, या कभी अपने सास-ससुरजी से नाराज हो जाओगी, कभी देवर या ननद से भी रूठोगी, कभी तुम्हे किसी से बातें सुननी भी पड़ जाए, या फिर कभी अडोस-पड़ोसियों के वर्तन पर तुम्हारा दिल खट्टा हो जाये, तब तुम मेरी यह भेंट ध्यान में रखना,*

*_अगरबत्ती की तरह जलना, जैसे अगरबत्ती स्वयं जलते हुए पूरे घर और सम्पूर्ण परिसर को सुगंधित और प्रफुल्लित कर ऊर्जा से भरती है, ठीक उसी तरह तुम स्वतः सहन कर तेरे ससुराल को अपना मायका समझ कर सब को अपने व्यवहार और कर्म से सुगंधित और प्रफुल्लित करना...._*

*बेटी चिट्ठी पढ़कर फफकर रोने लगी, सासूमां लपककर आयी, पति और ससुरजी भी पूजा घर में पहुंचे जहां बहु रो रही थी।*

*"अरे हाथ को चटका लग गया क्या?, ऐसा पति ने पूछा।*

*"क्या हुआ यह तो बताओ, ससुरजी बोले।*

*सासूमाँ आजुबाजुके सामान में कुछ है क्या यह देखने लगी,*

*तो उन्हें पिता द्वारा सुंदर अक्षरों में लिखी हुई चिठ्ठी नजर आयी, चिट्ठी पढ़ते ही उन्होंने बहु को गले से लगा लिया, और चिट्ठी ससुरजी के हाथों में दी, चश्मा ना पहने होने की वजह से, चिट्ठी बेटे को देकर पढ़ने के लिए कहा।*

*सारी बात समझते ही संपूर्ण घर स्तब्ध हो गया।*

*"सासु माँ बोली अरे, यह चिठ्ठी फ्रेम करानी है यह मेरी बहु को मिली हुई सबसे अनमोल भेंट है, पूजा घर के बाजू में ही इसकी फ्रेम होनी चाहिए,*

*और फिर सदैव वह फ्रेम अपने शब्दों से, सम्पूर्ण घर, और अगल-बगल के वातावरण को अपने अर्थ से महकाती रही, अगरबत्ती का पुडा खत्म होने के बावजूद भी.......*

*इसे कहते हैं,....*

*!! संस्कार....... मायके के !*
नारायण नारायण ??
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#481
**शुभ प्रभात*

**अपने जीवन में तीन लोगों को कभी भी नहीं भूलना चाहिए*
*पहला – मुसीबत में जो आपके काम आए,*
*दूसरा- जो मुसीबत में आपका साथ छोड़ दे,*
*तीसरा- जो आपको मुसीबत में डाल दे।**

? *जय श्री राम* ?
? *श्री राधे राधे* ?
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#482
सबसे सरल और सबसे कठिन काम संसार में क्या है ?

       यदि हम एक हज़ार व्यक्तियों को लें तो उनमें नौ सौ निन्यानवे व्यक्ति दुष्ट, कपटी, स्वार्थी और बदमाश मिलेंगे और अच्छा-भला व्यक्ति मिलेगा केवल एक और उस एक को खोजने निकलेंगे तो पहले उन नौ सौ निन्यानवे से भेंट होगी और वे नौ सौ निन्यानवे व्यक्ति आपको भेंटस्वरूप एक-एक बुराई देते जायेंगे। अन्त में परिणाम यह होगा कि जब तक हम उस एकाकी अच्छे व्यक्ति के पास पहुंचेंगे, तब तक हम स्वयं इतने भारी बदमाश, स्वार्थी, कपटी और चरित्रहीन बन चुके होंगे कि उस एकमात्र अच्छे चरित्रवान व्यक्ति का प्रभाव न पड़ सकेगा हम पर। इसलिए हे बन्धु ! यदि जीवन को गंगाजल की तरह हम पवित्र शुद्ध और निर्मल (हालाँकि गंगाजल भी इसी तरह दुष्ट लोगों के कारण लगातार प्रदूषित होता जा रहा है) रखना चाहते हैं तो कम से कम व्यक्तियों के संपर्क में आएं।

       *संसार में सबसे सरल और सबसे कठिन काम क्या है ?*

       सबसे सरल काम है संसार में--दूसरे की निन्दा करना, बुराई करना, दूसरों में दोष निकालना और सबसे कठिन काम है--आत्मपरीक्षण।

हम हर समय अच्छे और सज्जन होने का मुखौटा लगाये दूसरों को धोखा देते रहते हैं। यह बात भले ही दूसरों से छिपी रहे परन्तु अपनी आत्मा को भी जो धोखा देना है, वह कैसे छिपा रह सकेगा ? सबसे छिपा लेंगे अपने पापों को लेकिन अपनी आत्मा से कभी नहीं छिपा सकेंगे।
       संसार, समाज से दूर आत्मलीन व्यक्ति अंतर्मुखी होता है, वह दूसरों की तुलना में असामान्य भी होता है। साधारण लोग उसे समझ नहीं सकते। उन्हें समझाने की उसे आवश्यकता भी नहीं है। वे समझेंगे भी तो बेवकूफ। वे यह नहीं समझेंगे कि ऐसे आत्मलीन अंतर्मुखी व्यक्ति के ह्रदय में एक दर्द रहता है और वह दर्द है--उसका प्राण और उसका अश्रुसिंचित भावुक जीवन। भावुक जीवन में कई लोग अपने बनकर आ जाते हैं, पर वे ठहरते नहीं। स्वार्थ के वशीभूत होकर जीवन के किस अंधे मोड़ पर खो जाते हैं, पता भी नहीं चलता।
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#483
*पिता की तरफ से बेटी को अदभुत भेंट*

?????????

*विवाह के बाद, पहली बार मायके आयी बेटी का स्वागत सप्ताह भर चला।*

*सम्पूर्ण सप्ताह भर बेटी को जो पसन्द है, वही सब किया गया, वापिस ससुराल जाते समय, पिता ने बेटी को एक अति सुगंधित अगरबत्ती का पुडा दिया, और कहाकि बेटी तुम जब ससुराल में पूजा करने जाओगी तब यह अगरबत्ती जरूर जलाना,*

*माँ ने कहा, बिटिया प्रथम बार मायके से ससुराल जा रही है, तो ऐसे कोई अगरबत्ती जैसी चीज कोई देता है भला,*

*पिता ने झट से जेब में हाथ डाला और जेब में जितने भी रुपये थे वो सब बेटी को दे दिए,*

*ससुराल में पहुंचते ही सासु माँ ने बहु के मात-पिता ने बेटी को बिदाई में क्या दिया यह देखा, तो वह अगरबत्ती का पुडा भी दिखा, सासु माँ ने मुंह बना कर बहु को बोला कि , कल पूजा में यह अगरबत्ती लगा लेना,*

*सुबह जब बेटी पूजा करने बैठी तो वह अगरबत्ती का पुडा खोला, उसमे से एक चिट्ठी निकली,*

*_लिखा था....*

*!! "बेटा यह अगरबत्ती स्वतः जलती है, मगर संपूर्ण घर को सुगंधी कर देती है, इतना ही नहीं आजु-बाजू के पूरे वातावरण को भी अपनी महक से सुगंधित एवम प्रफुल्लित कर देती है....!!*

*हो सकता है कि तुम कभी पति से कुछ समय के लिए रुठ जाओगी, या कभी अपने सास-ससुरजी से नाराज हो जाओगी, कभी देवर या ननद से भी रूठोगी, कभी तुम्हे किसी से बातें सुननी भी पड़ जाए, या फिर कभी अडोस-पड़ोसियों के वर्तन पर तुम्हारा दिल खट्टा हो जाये, तब तुम मेरी यह भेंट ध्यान में रखना,*

*_अगरबत्ती की तरह जलना, जैसे अगरबत्ती स्वयं जलते हुए पूरे घर और सम्पूर्ण परिसर को सुगंधित और प्रफुल्लित कर ऊर्जा से भरती है, ठीक उसी तरह तुम स्वतः सहन कर तेरे ससुराल को अपना मायका समझ कर सब को अपने व्यवहार और कर्म से सुगंधित और प्रफुल्लित करना...._*

*बेटी चिट्ठी पढ़कर फफकर रोने लगी, सासूमां लपककर आयी, पति और ससुरजी भी पूजा घर में पहुंचे जहां बहु रो रही थी।*

*"अरे हाथ को चटका लग गया क्या?, ऐसा पति ने पूछा।*

*"क्या हुआ यह तो बताओ, ससुरजी बोले।*

*सासूमाँ आजुबाजुके सामान में कुछ है क्या यह देखने लगी,*

*तो उन्हें पिता द्वारा सुंदर अक्षरों में लिखी हुई चिठ्ठी नजर आयी, चिट्ठी पढ़ते ही उन्होंने बहु को गले से लगा लिया, और चिट्ठी ससुरजी के हाथों में दी, चश्मा ना पहने होने की वजह से, चिट्ठी बेटे को देकर पढ़ने के लिए कहा।*

*सारी बात समझते ही संपूर्ण घर स्तब्ध हो गया।*

*"सासु माँ बोली अरे, यह चिठ्ठी फ्रेम करानी है यह मेरी बहु को मिली हुई सबसे अनमोल भेंट है, पूजा घर के बाजू में ही इसकी फ्रेम होनी चाहिए,*

*और फिर सदैव वह फ्रेम अपने शब्दों से, सम्पूर्ण घर, और अगल-बगल के वातावरण को अपने अर्थ से महकाती रही, अगरबत्ती का पुडा खत्म होने के बावजूद भी.......*

*इसे कहते हैं,....*

*!! संस्कार....... मायके के !*
नारायण नारायण ??
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#484
♥️ पता नहीं क्यों पिताजी हमेशा पिछड़ रहे हैं।
1. माँ की तपस्या 9 महीने की होती है! पिताजी की तपस्या 25 साल तक होती हैं, दोनों बराबर हैं, मगर फिर भी पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं।
2. माँ परिवार के लिए भुगतान किए बिना काम करती है, पिताजी भी अपना सारा वेतन परिवार के लिए ही खर्च करते हैं, उनके दोनों के प्रयास बराबर हैं, फिर भी पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं।
3. माँ आपको जो चाहे पकाती है, पिताजी भी आप जो भी चाहते हैं, खरीद देते हैं, प्यार दोनों का बराबर है, लेकिन माँ का प्यार बेहतर है। पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं।
4. जब आप फोन पर बात करते हैं, तो आप पहले मॉम से बात करना चाहते हैं, अगर आपको कोई चोट लगी है, तो आप 'मॉम' का रोना रोते हैं। आपको केवल पिताजी की याद होगी जब आपको उनकी आवश्यकता होगी, लेकिन पिताजी को कभी बुरा नहीं लगता कि आप उन्हें सदैव और हर बार याद नहीं करते? जब पीढ़ियों के लिए बच्चों से प्यार प्राप्त करने की बात आती है, तो कोई यह नहीं जानता कि पिताजी क्यों पिछड़ रहे हैं।
5. अलमारी बच्चों के लिए रंगीन कपड़ो व साड़ियों और कई कपड़ों से भरी होगी लेकिन पिताजी के कपड़े बहुत कम हैं, वह अपनी जरूरतों के बारे में परवाह नहीं करते हैं, फिर भी यह नहीं जानते कि पिताजी क्यों पिछड़ रहे हैं।
6. माँ के पास सोने के कई गहने हैं, लेकिन पिताजी के पास केवल एक अंगूठी है जो उनकी शादी के दौरान दी गई थी। फिर भी माँ को कम आभूषण की शिकायत हो सकती है और पिताजी को नहीं। अभी भी नहीं पता कि पिताजी क्यों पिछड़ रहे हैं।
7. परिवार की देखभाल करने के लिए पिताजी अपना सारा जीवन बहुत परिश्रम करते हैं, लेकिन जब मान्यता प्राप्त करने की बात आती है, तो पता नहीं क्यों वह हमेशा पीछे रह जाते है।
8. माँ कहती है, हमें इस महीने कॉलेज ट्यूशन का भुगतान करने की आवश्यकता है, कृपया त्योहार के लिए मेरे लिए एक साड़ी न खरीदें, जबकि पिताजी ने अपने नए कपड़ों के बारे में तो कभी सोचा भी नहीं। दोनों का प्यार बराबर है, फिर भी पता नहीं क्यों पिताजी पिछड़ रहे हैं।
9. जब माता-पिता बूढ़े हो जाते हैं, तो बच्चे कहते हैं, माँ घर के कामों में कम से कम मदद करती हैं, लेकिन वे कहते हैं, पिताजी बेकार हैं। घर में फालतू पड़े रहते हैं।
पिताजी पीछे हैं (या the सबसे पीछे &rsquo क्योंकि वह परिवार की रीढ़ हैं। उसकी वजह से हम अपने दम पर खड़े हो पा रहे हैं।
शायद, यही कारण है कि वह पिछड़ रहै है .... !!! क्योंकि रीढ़ ही शरीर को साधे रहती है मगर वो सबसे पीछे होती है
? ?
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#485
"Success की सबसे खास बात है की, वो मेहनत करने वालों पर फ़िदा हो जाती है I"
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#486
*??भोर सुहानी??*

*_”उम्मीद” और “भरोसा” कभी गलत नहीं होते_*

*_बस ये हम पर निर्भर करता है कि हमने किससे “उम्मीद” की_*

*_और_*
*_किस पर “भरोसा”_*

*?मंगलमय सु प्रभात ?*
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#487
*??मोर्निंग बैल??*


*"अच्छे दोस्त सफ़ेद रंग जैसे होते हैं,*

*सफ़ेद में कोई भी रंग मिलाओ तो नया रंग बन सकता है,*

*लेकिन दुनिया के सभी रंग मिलाकर भी सफ़ेद रंग नहीं बना सकते "..!!*


*G⭕⭕D?〽️⭕➰N❗NG*
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#488
???????☘️

*रेत में गिरी हुई शक्कर*
*चींटी तो उठा सकती है,*
*मगर हाथी नहीं,*
*"इसलिए"*
*छोटे आदमी को*
*छोटा ना समझें*
*कभी कभी छोटा आदमी भी*
*बड़ा काम कर जाता है.!*
*पैसा सिर्फ़ लाइफ़्स्टायल बदल सकता है*
*दिमाग़, नीयत और क़िस्मत नहीं*

*??पुष्प प्रभात??*
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#489
जीवन में शांति चाहते हैं तो दुसरों की शिकायतें करने से बेहतर है खुद को बदल लें।
क्योंकि पुरी दुनिया में कारपेट बिछाने से खुद के पैरों में चप्पल पहन लेना अधिक सरल है।
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#490
आप कितनी ही कोशिश कर लें लोगों की धारणा आपके प्रति नहीं बदलेगी
इसलिए हमेशा ख़ुशी और सुकून से अपनी जिन्दगी जिए और खुश रहे।
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#491
किसी के भी बुरे समय में उसका सहारा बनकर उसे हिम्मत दो
क्योंकि बुरा वक्त तो थोड़े समय बाद निकल जायेगा लेकिन वह आपको जिन्दगी भर दुआ देता रहेगा।
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#492
जो लोग आपकी कीमत नहीं समझते
उनसे दूरी बनाकर रहना ही अच्छा है।
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#493
पद्म पुराण में कहा गया है, ‘जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए मृत्यु से भयभीत होने की जगह सत्कर्मों के माध्यम से मरण को शुभ बनाने के प्रयास करने चाहिए।’

जैन संत आचार्य तुलसी एक बोधकथा सुनाया करते थे एक मछुआरा समुद्र से मछलियाँ पकड़ता और उन्हें बेचकर अपनी जीविका चलाता था। एक दिन एक वणिक उसके पास आकर बैठा। उसने पूछा, ‘मित्र, क्या तुम्हारे पिता है?’

उसने जवाब दिया, ‘नहीं, उन्हें समुद्र की एक बड़ी मछली निगल गई।’ उसने फिर पूछा, ‘और तुम्हारा बड़ा भाई ? ‘ मछुआरे ने जवाब दिया, ‘नौका डूब जाने के कारण वह समुद्र में समा गया।’

वणिक ने फिर पूछा, ‘दादाजी और चाचाजी की मृत्यु कैसे हुई ?’ मछुआरे ने बताया कि वे भी समुद्र में लीन हो गए थे। वणिक ने यह सुना, तो बोला, ‘मित्र, यह यमुद्र तुम्हारे विनाश का कारण है, बावजूद इसके तट पर आकर जाल डालते हो। क्या तुम्हें मरने कर भया नहीं है ??

मछुआरा बोला, ‘भैया, मौत जिस दिन आनी होगी, आएगी ही। तुम्हारे घरवालों में से दादा, परदादा, पिता में से शायद ही कोई इस समुद्र तक आया होगा। फिर भी वे सब चल बसे । मौत कब आती है और कैसे आती है, यह आज तक कोई भी नहीं समझ सका है। फिर मैं बेकार ही मौत से क्यों डरूँ??

भगवान् महावीर ने कहा था, ‘नाणागमो मच्चुमुहस्य अत्थि’ यानी मृत्यु किसी भी द्वार से आ सकती है, इसलिए आत्मज्ञानी ही मौत के भय से बचा रह सकता है।
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#494
आध्यात्मिक विभूति श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार से मिलने कलकत्ता के एक धनाढ्य परिचित पहुँचे। उन्होंने कहा, ‘जब मैं किसी तीर्थ में जाता हूँ, तो दान अवश्य करता हूँ।’ उन्होंने एक अखबार भी दिखाया, जिसमें किसी को कपड़े दान करते हुए उनका चित्र छपा था।

पोद्दारजी ने कहा, ‘तुमने तो अपने दान को एक ही दिन में निष्फल बना डाला, जबकि दान का पुण्य तो लंबे समय तक मिलता है। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि जो प्रशंसा या किसी बदले की इच्छा से दान करता है, वह उसका पुण्य फल कदापि नहीं प्राप्त कर सकता।’

उन्होंने कुछ क्षण रुककर कहा, ‘पद्मपुराण में कहा गया है कि मानव को धन-संपत्ति भगवान् की कृपा से प्राप्त होती है, इसलिए इसका उपयोग अपने परिवार के पालन-पोषण में सतर्कता से करना चाहिए।

उसका अत्यधिक भाग यज्ञ आदि धार्मिक कार्यों और अभावग्रस्त लोगों की सेवा – सहायता में लगाना चाहिए। यह मानकर दान करना चाहिए कि भगवान् की चीज भगवान् को ही अर्पित की जा रही है।

यदि कोई अहंकार में अपने को बड़ा धर्मात्मा प्रकट करने के लिए दान करता है, तो वह पुण्य की जगह पाप का भागी बनता है। ‘ पोद्दारजी कहते हैं, ‘जो व्यक्ति निष्काम सेवा सहायता करता है, प्रभु उसी पर कृपा-दृष्टि रखते हैं।

जो आदमी लालसा में सेवा का प्रदर्शन करता है, उसे ढोंग मानना चाहिए। इसलिए कहा गया है कि एक हाथ से किसी को दान देते वक्त दूसरे हाथ को भी इसका पता नहीं चलना चाहिए । गुप्तदान को शास्त्र में सर्वश्रेष्ठ दान माना गया है।’
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#495
*जिन्दगी हमें हमेशा नया पाठ पढ़ाती है*
*लेकिन हमें समझाने के लिए नहीं बल्कि हमारी सोच बदलने के लिए।*


*कोशिश ये मत करो कि कोई आपको अच्छा कहे, कोशिश ये करो कि कोई आपको बुरा ना कहे।*


*जिंदगी "जीनी" है तो "तकलीफें" भी बर्दाश्त करनी पड़ेगी...!*
*वरना "मरने" के बाद तो "जलने" का भी "एहसास" नही होता...!!*

*सुप्रभात*
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#496
? जय श्री राधेकृष्णा ?

"आज मुश्किल है कल थोडा बेहतर होगा, बस उम्मीद मत छोड़ना भविष्य जरूर बेहतरीन होगा...!!!"

सुप्रभात...

??आपका दिन शुभ हो...??
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#497
*मुस्कुराकर देखो तो सारा जहां रंगीन है,*
*वर्ना....*
*भीगी पलकों से तो,आईना भी धुंधला नजर आता है।*
?जय श्रीकृष्ण ?
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#498
*प्रातः वंदन,,,,?*

*गलत सोच और गलत अंदाजा*
*इंसान को हर रिश्ते से गुमराह कर देता है*
*रिश्तों में आपस में जितनी*
*सहनशीलता क्षमाशीलता और*
*समझदारी होगी आपसी*
*रिश्तोंकी उम्र उतनी ही लंबी होगी*
*मनुष्य के पास सबसे बड़ी पूंजी*
*अच्छे विचार हैं क्योंकि धन और बल*
*किसी को भी गलत राह पर*
*ले जा सकते हैं किन्तु अच्छे विचार सदैव*
*अच्छे कार्यो के लिए ही प्रेरित करेंगे*
*विचार और व्यवहार हमारे बगीचेके वो फ़ूल हैं*
*जो हमारे पूरे व्यक्तित्व को महका देतें हैं*
*बहस और बातचीत में एक बड़ा फर्क*
*बहस सिर्फ़ यह सिद्ध करती है*
*कि कौन सही है जबकि बातचीत यह*
*तय करती है कि क्या सही है*

*सुप्रभात,,,,?*
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#499
*_?? ??_*
®️
❤ ? ? ? ? ? ❤

*_? आज का विचार ?_*

? *कीमती तो बहुत कुछ*
*होता है ज़िन्दगी में लेकिन*
*हर चीज़ की कीमत सिर्फ़*
*वक़्त ही समझा सकता है..!*

? *लोग आपके असली रूप*
*से नफ़रत करें ये अच्छा है*
*बजाय इसके कि वे आपके*
*नकली रूप से प्रेम करें...!*

*_? शुभ: प्रभात् ?_*

*_भारत माता की जय ??_*

❤ ? ? ? ? ? ❤
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#500
? जय श्री राधेकृष्णा ?

"ज़्यादा सोचना बंद करें और उस दुनिया से बाहर आएं जो हक़ीक़त में है ही नहीं...!!!"

सुप्रभात...

??आपका दिन शुभ हो...??
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#501
*प्रातः वंदन,,,,?*

*बदल गई है रंगत अब जमाने की*
*अनजान वही बनते हैं जो सब जानते हैं*
*कौन कहता है कि*
*बड़ी गाड़ियों में ही सफर अच्छा होता है*
*सच्चे रिश्ते साथ हो तो*
*जिंदगी पैदल भी मजेदार होती हैं*
*वजह की तलाश में*
*वक्त ना गवाया करें*
*वेवजह, बेपरवाह बस मुस्कुराया करें*
*क्योंकि जिंदगी पल पल ढलती है*
*जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है*
*शिकवे कितने भी हों हर पल*
*फिर भी सदैव हंसते रहिए*
*क्योंकि यह जिंदगी जैसी भी है*
*बस एक ही बार मिलती है*


*सुप्रभात,,,,??*
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#502
देर से बनो पर जरूर कुछ बनो, क्योंकि लोग वक्त के साथ खैरियत नही हैसियत पूछते हैं।
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#503
जिस व्यक्ति का मन का भाव सच्चा होता है, उस व्यक्ति का हर काम अच्छा होता है।
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#504
अगर आप उन बातों और परिस्थितियों की वजह से चिंतित हो जाते हैं, जो आपके नियंत्रण में नहीं;
तो इसका परिणाम समय की बर्बादी और भविष्य का पछतावा हैं…
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#505
“बुरा वक्त भी हमे कुछ नया सीखा जाता है, कुछ नया नहीं तो, हमे अपने और पराये की पहचान करा ही जाता है।”
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#506
*मृदुल स्नेह, अटूट विश्वास और समर्पण से परिपूर्ण भाई-बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन की आप सभी को हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं।* ?
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#507
कभी जीने की आशा,
कभी मन की निराशा,
कभी खुशियो की धूप,
कभी हकीकत की छांव,
कुछ खोकर कुछ पाने की आशा,
शायद यही है जीवन की परिभाषा…!!!

?? वंदन अभिनंदन !! ??
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#508
? जय श्री राधेकृष्णा ?

"हर कोई चंदन तो नहीं कि जीवन सुगंधित कर सके, कुछ नीम के पेड़ भी होते है, जो सुगंधित तो नहीं करते, पर काम बहुत आते है...!!!"

सुप्रभात...


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